Rakesh rakesh

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लेखनी प्रतियोगिता -09-Dec-2022 बचपन का मन

कैलाश उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के एक छोटे से गांव में रहता था। कैलाश का गांव छोटा था, पर वहां रहने वाले लोगों के दिल बहुत बड़े थे। गांव के लोग एक दूसरे के सुख दुख में हमेशा साथ खड़े रहते थे।


 कैलाश बहुत चंचल और नटखट था। इसलिए गांव के सब लोग उसे प्यार से कन्हैया कहते थे। गांव में कैलाश के सबसे ज्यादा मित्र थे। इस वजह से वह कभी किसी मित्र के घर खाना खाकर खेलते खेलते सो जाता था कभी किसी और मित्र के घर।

 उसकी इस आदत से कैलाश के माता-पिता बहुत दुखी थे। कैलाश का बड़ा भाई हमेशा घर पर पढ़ाई करता  था या रेडियो पर गाने सुनता रहता था।

 एक दिन  कैलाश के तारो को देखनेके  शौक के  विषय में कैलाश की मां को जानकारी हो जाती है। और वह कैलाश के पिता पर दबाव डालकर अपने गहने बेचकर और जमा पूंजी निकालकर 2 मंजिल का मकान बनाने की जिद पर अड़ जाती है। ताकि कैलाश रात को अपने घर रुक कर दो मंजिल मकान से तारे देख सके। और तारे देखने के लालच में किसीऔर के ऊंचे घर पर ना जाए।

 दो मंजिलका मकान बनाने के बाद गर्मियों की  पूर्णिमा की रात को कैलाश की मां कैलाश को छत पर ले कर जाती है। उस समय एक तारा टूट कर धरती की तरफ आता है। कैलाश की मां कहती है, "देखो कैलाश टूटता हुआ तारा जो मांगना है। मांग लो।" 

दूसरी रात को कैलाश की मांघर के कामों में व्यस्त हो जाती है। इसलिए कैलाश अपने पिताजी से जिद करके उनको छत पर ले जाता है। पहाड़ों पर तारे शहरों के मुकाबले ज्यादा साफ दिखाई देते हैं। इसलिए उस दिन भी एक टूटता तारा कैलाश को दिखाई देता है। लेकिन कैलाश के कुछ बोलने से पहले ही उसके पिताजी कहते हैंकि कैलाश हाथ जोड़ लो किसी महान मनुष्य की मृत्यु हो गई है। टूटते तारे का यही संकेत होता है। कैलाश माता-पिता के अलग-अलग दो जवाब की उलझन में फंस जाता है।

 तीसरी रात कैलाश के बडे भाई मथुरा को भी अपने दो मंजिलकी छत से तारे देखने का शौक चढ़ता है। वह कैलाश के साथ तारों से भरे आसमान को देख कर बहुत प्रसन्न होता है। वह कैलाश से कहता है "जानते हो तारे कौन होते हैं।  कैलाश पूछता है? कौन होते हैं यह तारे। मथुरा कहता है "हमारे परिवार के किसी सदस्य की जब मृत्यु हो जाती है, तो वह तारा बन जाता है। जैसे दादा-दादी।

  बच्चों का मन कोरा कागज होता है। जो चाहो लिख दो लेकिन हमें समझाना चाहिए हम जो बच्चों के मन में लिखते हैं, वह उनके मन से जीवन भर मिटता नहीं।

 देखते-देखते कैलाश की आयु 22 वर्ष कीहो जाती है। कैलाश की मुंबई में एक बड़ी कंपनी में नौकरी लग जाती है। कैलाश का बड़ा भाई मथुरा अपनी पत्नी की छोटी बहन से कैलाश का शादी का रिश्ता पक्का कर देता है। और शादी की तारीख पक्की करके कैलाश को शादी करने के लिए बुलाता है।

 कैलाश की शादी होने के बाद दोनों भाई खाना खाकर छत पर बैठते हैं। कैलाश अपने बड़े भाई मथुरा से अपने बचपन के मित्रों के बारे पूछता है।  मथुरा कहता है "हमारे गांव में रोजी-रोटी के साधन कम है। इसलिए  तेरी तरह तेरे सारे मित्र गांव छोड़कर अलग अलग शहरों में रोजी रोटी कमाने चले गए हैं।" उसी समय एक तारा टूटता है, कैलाश मन में सोचता है। टूटते तारे का अर्थ मृत्यु ही तो है, जैसे मृत व्यक्ति नजरों से दूर हो जाता है। वैसे ही मेरे सारे मित्र मेरी नजरों से दूर हो गए। गांव के घर आंगन केसारे तारे टूट गए। 

फिर कैलाश को आसमान में दो तारे ज्यादा चमकते दिखाई देते हैं। कैलाश अपने बड़े भाई मथुरा का हाथ पकड़ कर कहता है, तुम बचपन में ठीक कहते थे देखो आसमान में जो दो तारे सबसे ज्यादा चमक रहे हैं, वह हम दोनों के माता-पिता हैं। हम दोनों के माता पिता अपनी नई बहू और दोनों बेटों के सुखको देखकर चमक चमक कर प्रसन्न हो रहे हैं।

 इतने में कैलाश की भाभी कैलाश की नई नवेली दुल्हन को छत पर ले आती है। उस समय तारा आसमान से टूटकर धरती की तरफ आ कर गायब हो जाता है। कैलाश मन में सोचता है मां सच कहती थी कीटूटते तारे को हाथ जोड़कर जो मांगना है मांग लो उस दिन सेआज तक मैंने टूटते तारे को देखकर अपने गांव अपने  परिवार के लिए खुशियां ही मांगी आज मुझे पढ़ी-लिखी सुंदर पत्नी मिल गई बड़े भाई भाभी का माता पिता जैसा प्यार अच्छी नौकरी सब कुछ दिया टूटते तारे ने आज मैं टूटते हुए तारे से इस संसार के लिए सुख शांति खुशियां मांगता हूं।

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6 Comments

Gunjan Kamal

11-Dec-2022 02:15 PM

बहुत ही सुन्दर

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Pranali shrivastava

10-Dec-2022 09:06 PM

Nice 👍🏼

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Abhinav ji

10-Dec-2022 09:04 AM

Nice

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